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जीवन रेखा के प्रकार व इसके मानव जीवन पर प्रभाव

हथेली में पायी जाने वाली रेखाओं में सबसे मुख्य रेखा जीवन रेखा होती है क्योंकि अगर व्यक्ति का जीवन रहेगा तभी अन्य रेखाओं का कोई महत्व रहेगा.जीवन रेखा मुख्यत: तीन प्रकारों की होती है इसके प्रकार व इसके मानव जीवन पर प्रभाव निम्न हैं : 1.जीवन रेखा का उदगम ब्रहस्पति पर्वत व अंगूठे के मध्य में होता है .कई हाथों में मस्तिष्क रेखा व जीवन रेखा एक ही उदगम स्थान से निकलती हैं,ऐसा होना शुभ कहलाता है व ऐसा जातक जीवन में बहुत उन्नति करता है.इस तरह की जीवन रेखा नीचे के चित्र में दर्शाई गयी है:

जीवन रेखा का प्रथम प्रकार
2.कई हाथों में मस्तिष्क रेखा व जीवन रेखा का उदगम अलग अलग स्थानों पर होता है,ऐसी जीवन रेखा वाले जातक उन्मुक्त विचारों के व अपनी ही धुन में कार्य करने वाले होते हैं.इस तरह की जीवन रेखा नीचे के चित्र में दर्शाई गयी है:
जीवन रेखा का द्वितीय प्रकार
3.जिन हाथों में जीवन रेखा ,हृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा का मिलन हो जाता है,उन जातको की मृत्यु हत्या के द्वारा हो जाती है.इस तरह की जीवन रेखा नीचे के चित्र में दर्शाई गयी है:
जीवन रेखा का तृतीय प्रकार
जीवन रेखा से कैसे लगाएं आयु का पता:जीवन रेखा के माध्यम से आयु पता लगाईं जा सकती है.आयु पता लगाने के लिए जीवन रेखा के उदगम स्थान से मणिबंध के स्थान पर अंत को 100 वर्ष का मान लेना चाहिए व उसके ऊपर धागा रखकर नाप लेना चाहिए .अब आपकी जीवन रेखा जितनी लम्बी है उसे भी धागा रख कर नाप लें व यह धागा 100 वर्ष के अनुपात में जितना लम्बा है वह आपकी आयु होगी.इसी तरह आप अपनी आयु अपनी जीवन रेखा की लम्बाई के अनुसार पता लगा सकते हैं.नीचे के चित्र में 100 साल व 50 साल की जीवन रेखा दिखाई गयी है:
जीवन रेखा द्वारा आयु पता लगाने की विधि
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